खामोशियाँ
लोग कहते हैं, समय के साथ खामोशियाँ भी बोलने लगती हैं,
मैं अरसे से खामोश हूँ और वो वर्षों से बेखबर हैं।
क्यों करते हो मुझसे इतनी खामोश मोहब्बत,
लोग समझते हैं इस बदनसीब का कोई नहीं।
कभी अलविदा न कहना
एक रस्म मोहब्बत में ये भी बनानी होगी,
अगर छोड़ के जाए कोई शौक से तो वज़ह जरूर बतानी होगी।
शायद बहुत मोहब्बत थी उसे मेरी मुस्कुराहट से,
इसीलिए जाते-जाते उसे भी साथ ले गयी।
बात तन्हाई की
कभी शाह, कभी फ़क़ीर तो कभी दिलनशीं की तरह,
ये ज़िन्दगी रू-ब-रू होती है हमसे एक अजनबी की तरह।
अब किसकी पनाह में गुज़ारें ज़िन्दगी,
अब तो रास्तों ने भी कह दिया,
इन रास्तों पर क्यों हो आते?
तुम मेरे हो
वक्त के साथ-साथ काफी कुछ बदल जाता है,
लोग भी, राह भी, अहसास भी और कभी-कभी हम खुद भी।
अगर ये झूठ है कि तुम मेरे हो,
तो यकीन मानो,
मेरे लिए सच कोई मायने नहीं रखता।
बगैर इजाज़त बस जाते हैं दिल में वो लोग,
जिन्हें हम ज़िन्दगी भर पा नहीं सकते।
हसीन ख्वाब
मेरी आँखों में नमी है,
शायद तेरे प्यार की कमी है।
बिछड़ कर फिर मिलेंगे हमे यकींन कितना था,
रह गया ख्वाब, मगर हसीन कितना था।