नाकाम कोशिश
नाकाम निकली मेरी हर कोशिश उसे मनाने की,
न जाने कहाँ से सीखी उस ज़ालिम ने अदा रूठ जाने की।
एक आशिक़ था मेरे अंदर जो कुछ साल पहले मर गया,
अब कोई शायर है जो लोगों के दिलों को हिला देता है।
ज़िन्दगी के पहलू
ऐ ज़िन्दगी जरा आहिस्ता चल, अभी तो कई कर्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं, कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।
क़यामत आने पे तो सुना था कि कोई किसी का नहीं होगा,
मगर ये रिवाज़ तो अभी से आम हो गया।
हज़ारों चेहरों में एक तुम ही थे जिस पर हम मर-मिटे,
वरना न कभी चाहतों की कमी थी और न ही चाहने वालों की।
प्यार के मायने
न कोई किसी के करीब होता है,
न कोई किसी से दूर होता है,
प्यार खुद ब खुद चल कर आता है,
जब कोई, किसी का नसीब होता है।
सवाल जहर का नहीं था वो तो मैं पी गया,
तकलीफ लोगों को तब हुई जब मैं जी गया,
रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते देखा मैंने,
सड़क किनारे का वो भिखारी शहंशाह कि ज़िन्दगी जी गया।
इश्क़ कहूँ या इबादत
इश्क़ कहूँ या इबादत कुछ समझ नहीं आता,
एक दिलकश ख़्याल हो तुम जो मेरे दिल से नहीं जाता।
मेरी ज़िन्दगी की सारी खुशियां तेरे बहाने से हैं,
कुछ तुझे सताने से, कुछ तुझे मनाने से हैं।
यूँ तो कोई शिकवा नहीं मुझे मेरे आज से,
लेकिन बीता हुआ कल कभी-कभी बहुत दर्द दे जाता है।
मोहब्बत हो जायेगी
नहीं पता था मुझको कि मोहब्बत हो जायेगी,
मुझे तो तुझको मुस्कुराते देख अच्छा लगता था।
तुमने जब तीर चलाया तो कोई बात थी ही नहीं,
लेकिन जब मैंने ज़ख्म दिखाया तो तुम बुरा मान गए।
गुरुर-ए-हुस्न में मदहोश वो ये भी भूल गये,
कौन चाहेगा उनको ता-उम्र, उम्र ढलने के बाद।