Poems and Poetry

एक बार मुड़ के देख

जो छूट गया साथ तेरा मुझसे,
रूठ गया है दिल मेरा मुझसे,
कितनी तक़लीफ़, कितान दर्द है तेरे जाने का,
एक बार मुड़ के देख, क्या हल हो गया है तेरे दीवाने का;

हर लम्हा, हर वक्त बस तेरी याद आ रही है,
तेरी खामोसी मेरी बेचैनी बड़ा रही है,
तेरी याद हर वक्त गलती का एहसास दिला रही है,
एक बार मूड के देख, तेरे बिना मेरी जान जा रही है;

तू और तेरा प्यार

अगर सफ़र में मेरे साथ मेरा यार चले,
तवाफ़ करता हुआ, मौसम-ए-बहार चले;
नवाज़ना है तो इस तरह नवाज़ मुझे,
कि मेरे बाद मेरा ज़िक्र बार-बार चले;
जिस्म क्या है, कोई पैरहन उधार का है,
यहीं संभाल के पहना, यहीं उतार चले;
बस यही इक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की,
जो तुम नहीं तो सफ़र में तुम्हारा प्यार चले।

आँखों में डूब कर

इन आँखों में डूब कर मर जाऊं,
ये खूबसूरत काम कर जाऊं;
तेरी आँखों की झील उफ्फ तौबा,
इन गहराईओं में अब उतर जाऊं;
तेरी आँखें हैं या मय के ये पैमाने हैं,
पी लूं इन्हें और हद से गुजर जाऊं;
एक शिकारा सा है जो तेरी आँखों में,
तू कहे अगर तो इनमें ठहर जाऊं;
तेरी आँखों की झील सी गहराई में,
जी चाहता है कि आज उतर जाऊं।

उनका ज़िक्र

जब उनकी धुन में रहा करते थे,
हम भी चुप-चाप जिया करते थे;
लोग आते थे गजल सुनने,
हम उसकी बात किया करते थे;
अपनी तन्हाई मिटने के खातिर,
हम उसका नाम लिया करते थे;
कल देखा उनको तो याद आया हमें,
हम भी कभी मोहब्बत किया करते थे,
और लोग मुझे देख उसका नाम लिया करते थे।

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