रूठा महबूब
जिंदगी का बस इतना ही फ़साना है,
दुश्मन को जलाना और अपने रूठे महबूब को मनाना है।
यार का सत्कार
कदर करना सीख लो,
न जिंदगी बापस आती है, ना लोग।
जिंदगी की शर्त
जी रहा हूँ तेरी शर्तो के मुताबिक ए जिंदगी,
दौर आएगा कभी, हमारी फरमाइशो का भी।
जिंदगी का दस्तूर
कमाल का ताना मारा है आज जिदँगी ने,
अगर कोई तेरा है तो वो तेरे पास क्यों नहीं है।
उदास दिल
खफा नहीं हूँ तुझसे ए जिंदगी,
बस जरा दिल लगा बैठा हूँ इन उदासियों से।
मेरी जिंदगी
हमारा तो जिंदगी बर्बाद कर दिया!
जिंदगी तबाह
जिंदगी हमारी थी,
बर्बाद लोगों ने कर दी।
जिंदगी की जिम्मेदारी
क्या बेचकर हम खरीदे ये जिंदगी,
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी की जार में।